कुछ ही भारतीय डायरेक्टर ऐसे रहे हैं जिनकी तारीफ दुनियाभर में होती है और जिनकी फिल्मों का विस्तृत अध्ययन किया जाता है । उन्हीं चुनिंदा भारतीय डायरेक्टर्स में से एक हैं Satyajit Ray । पाथेर पांचाली के डायरेक्टर सत्यजीत राय के बारे में जापानी फिल्म मेकर Akira Kurosawa ने कहा था:
सत्यजीत रे की फिल्म कभी न देखना ऐसा है जैसे बिना सूरज और चांद के जीवन व्यतीत करना ।
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देखा जाए तो भारतीय फिल्म इंडस्ट्री ने कभी भी सत्यजीत राय को प्यार नहीं दिया । उनकी फिल्मों को विदेशों में खूब सराहा गया और बड़े बड़े फिल्मकारों ने उनकी फिल्मों पर सकारात्मक टिप्पणियां कीं । लेकिन उनकी किसी भी फिल्म को भारत की तरफ से Oscars के लिए नहीं भेजा गया । भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की हालत तब भी वैसी ही थी, जैसी आज है ।
आज भी Tumbbad और Barfi! जैसी फिल्मों को ऑस्कर अवॉर्ड में न भेजकर Gully Boy जैसी फिल्मों को भेजा जाता है । खैर, कई वर्षों के पश्चात उन्हें The Academy of Motion Pictures द्वारा Honorary Oscar का अवार्ड मिला । इसके अलावा Satyajit Ray को भारत रत्न, दादासाहेब फाल्के अवार्ड, नेशनल फिल्म अवार्ड आदि प्राप्त हो चुके हैं ।
Satyajit Ray का जीवन
Satyajit Ray एक महान भारतीय डायरेक्टर थे जिनका जन्म 2 मई, 1921 को हुआ था । इनकी जन्मस्थली कोलकाता, पश्चिम बंगाल है और यहीं उन्होंने 23 अप्रैल, 1992 को अपनी आखिरी सांस भी ली । पाथेर पांचाली, द बिग सिटी, चारूलता, द म्यूजिक रूम इनके द्वारा बनाई गई सर्वश्रेष्ठ फिल्में हैं ।
सत्यजीत राय को न सिर्फ एक डायरेक्टर के तौर पर बल्कि screenwriter, documentary filmmaker, author, essayist, lyricist, magazine editor, illustrator, calligrapher और music composer के तौर पर भी जाना जाता है । इनकी फिल्मों में Screenwriting से लेकर Cinematography तक, सबकुछ ज्यादातर सत्यजीत राय ही किया करते थे ।
राय के अद्भुत और अद्वितीय निर्देशन को देखते हुए इन्हें कुल 36 National Film Awards मिले थे । वर्ष 1992 में भारत सरकार ने Satyajit Ray को भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न प्रदान किया । इसके अलावा उन्हें The Academy of Motion Pictures की तरफ से Honorary Oscar का अवार्ड भी प्रदान किया गया था । इस अवॉर्ड को प्राप्त करने वाले वे पहले भारतीय थे ।
सत्यजीत राय पर पश्चिमी सिनेमा का प्रभाव
सत्यजीत राय को भारत से कहीं ज्यादा प्यार पश्चिमी दर्शकों, फिल्म समीक्षकों और निर्देशकों ने दिया । उनकी फिल्में भी पश्चिमी सिनेमा से प्रेरित थी जिसका उदाहरण हमें Apu Trilogy में साफ साफ देखने को मिलता है । इनकी पहली फिल्म Pather Panchali हालांकि Bibhutibhushan Bandyopadhyay द्वारा लिखी गई किताब पर आधारित थी लेकिन फिल्माने का तरीका Italian Neo-Realists का था ।
Satyajit Ray ने खुद यह कई इंटरव्यू में कहा है कि वे John Ford, Billy Wilder और Ernst Lubitsch जैसे लोकप्रिय हॉलीवुड फिल्म मेकर से काफी प्रभावित थे और उनसे ही उन्होंने फिल्म मेकिंग की कला सीखी । राय की अबतक की सबसे लोकप्रिय और बहुचर्चित फिल्म पाथेर पांचाली भी The Bicycle Thief फिल्म से प्रभावित होकर बनाई गई थी जिसके डायरेक्टर Vittorio De Sica थे ।
राय पर सबसे गहरा प्रभाव Jean Renoir का था जो एक French film director थे । Jean Renoir से ही सत्यजीत राय ने सीखा था कि एक फिल्म में ढेरों तत्वों के होने का कोई अर्थ नहीं है बल्कि अर्थपूर्ण तत्वों का होना आवश्यक है । उनकी यह सीख सत्यजीत राय द्वारा बनाई गई सभी फिल्मों में साफ साफ दिखलाई पड़ती है । राय की फिल्मों में मानवता और इंसानियत की जो झलक देखने को मिलती है, वह भी उन्होंने Jean Renoir से ही सीखी थी ।
हालांकि कई फिल्म समीक्षकों ने पश्चिमी सिनेमा और धारणाओं के प्रति Satyajit Ray के झुकाव की खुलकर निंदा भी की है । खासकर कि Ashish Nandi ने राय के एक भारतीय फिल्म निर्माता के रूप में प्रामाणिकता पर ही प्रश्न उठा डालते हैं । उनका कहना था कि राय भारतीय होने की ही वजह से भारतीय फिल्में बना रहे हैं अन्यथा वे पूरी तरह से पश्चिमी सभ्यता और सिनेमा की रंग में रंग चुके हैं ।
राय ने न सिर्फ पश्चिमी सिनेमा से निर्देशन की तकनीक सीखी थी बल्कि उनका संगीत, भाषा, छायांकन, फिल्म के संदेश को दर्शकों तक पहुंचाने का नजरिया सबकुछ भी पश्चिमी सिनेमा से ही लिया था । आलोचना से इतर देखें तो सत्यजीत राय एक महान भारतीय निर्देशक थे जिन्होंने एक इंटरव्यू में यह कहा था कि वे बंगाल के अलावा अन्य कहीं जाने की सोच भी नहीं सकते हैं । वे भले ही पश्चिमी सिनेमा से प्रभावित थे लेकिन थे वे सच्चे भारतीय और संवेदनशील निर्देशक ।
सत्यजीत राय: एक संवेदनशील निर्देशक
सत्यजीत राय को एक संवेदनशील निर्देशक के रूप में जाना जाता है । चाहे आप Apu Trilogy देखें या Charulata, उन्होंने फिल्मों में मानवीय हृदय को बड़ी ही बारीकी से टटोला है । उनके समय में बनाई जा रही अन्य फिल्मों में साफ साफ दिखावा दिखलाई पड़ता है, उनमें झूठ और भावनाओं का कारोबार ही झलकता है । लेकिन सत्यजीत राय ने सही मायनों में मनुष्य की भावनाओं का यथार्थ और कलात्मक चित्रण किया है ।
Satyajit Ray की फिल्मों में भावनाएं सिर्फ किरदारों के माध्यम से नहीं बल्कि नदियों, पेड़ों, पशु पक्षियों द्वारा भी व्यक्त हुई हैं । किसी की वेदना को दर्शकों तक पहुंचाना हो तो वे संवादों का सहारा लेने के बजाय प्रतीकों और बिंबों की मदद लेते हैं । जब फिल्म चारूलता में चारूलता के अकेलेपन और जकड़े हुए जीवन को दिखाना हो तो वे पिजड़े में कैद पंछी का सहारा लेते हैं ।
फिल्म Paather Panchali में दुर्गा का किरदार बिजली के खंभों को लगातार 13 सेकंड तक निहारती है क्योंकि वह इन सबसे अनजान है । जब रेलगाड़ी अपु और दुर्गा के करीब से गुजरने लगती है और वे दोनों भागते हुए ट्रेन ट्रैक के करीब जाने की चेष्टा करते हैं तो दुर्गा गिर जाती है । लेकिन अपु बेहद ही करीब से ट्रेन को देख पाता है । यह Symbolise करता है कि दुर्गा कहानी के अंत तक नहीं पहुंच पाएगी ।
ऐसे ही अन्य कई उदाहरण हैं जिन्हें देखकर सत्यजीत राय की संवेदनशीलता का पता चलता है । उन्हें मानों लोगों की भावनाओं को पढ़ने आता था । अगला उदाहरण आप उनकी फिल्म Two का ले सकते हैं जो यूट्यूब पर मौजूद है । फिल्म का सार यही है कि अमीर बच्चा अपने बारे में अच्छा महसूस करने के लिए अपनी भौतिकवादी संपत्ति दिखाकर गरीब बच्चे पर अपनी श्रेष्ठता (खुशी का विचार) थोपने की कोशिश करता है ।
इस प्रकार वह एक “लड़ाई” लड़ता है। वह जितना हो सके उसे तोड़ने की कोशिश करता है । हालांकि, गरीब बच्चा दुखी नहीं होता है और अपने पास जो कुछ भी “छोटा” है उससे खुद को खुश रखने का फैसला करता है । अंत में, अमीर बच्चा अपनी हार को इस अहसास के साथ स्वीकार करता है कि वह संतुष्ट नहीं है ।
इसके अलावा, टावर गिरने को उसकी हार और “सब कुछ” होने के बावजूद खुशी पाने में असमर्थता के रूपक के रूप में दिखाया गया है । “दो” खुशी के द्वंद्व की व्याख्या करता है, एक जो संपत्ति से आता है और दूसरा जो भीतर से आता है । इस फिल्म को देखने के पश्चात आप समझ सकते हैं कि सत्यजीत राय दूसरों की भावनाओं को कितनी गहराई से समझने की ताकत रखते थे और वे कितने संवेदनशील निर्देशक थे ।
Best Movies of Satyajit Ray
फिल्मों को बारीकी से समझने वाले REAL Cinema का आनंद लेने वालों को Satyajit Ray Movies अवश्य देखनी चाहिए । आपको उनकी ज्यादातर फिल्में YouTube, MX Player और JioCinema पर आसानी से और मुफ्त में मिल जायेंगी । चलिए सत्यजीत राय की कुछ सर्वश्रेष्ठ फिल्मों के बारे में जानते हैं:
1. The Apu Trilogy
Satyajit Ray Movies देखने की शुरुआत आपको The Apu Trilogy से करनी चाहिए । इसमें कुल तीन फिल्में हैं, क्रमशः Pather Panchali, Aparajito और Apur Sansar । इन तीनों फिल्मों में सबसे मुख्य किरदार Apu है जिसके बचपन से लेकर प्रौढ़ होने तक की पूरी कहानी आपको दिखाई जायेगी । सत्यजीत राय की यह Trilogy बॉलीवुड की अबतक की सबसे सफल ट्रायलॉजी में गिनी जाती है ।
व्यक्तिगत तौर पर हमें इन फिल्मों की Cinematography कमाल की लगी । किसी दृश्य का यथार्थ लेकिन अर्थपूर्ण चित्रण वो भी बेहद ही कम बजट में नौसिखियों के साथ कैसे करना है, यह सत्यजीत राय जी से सीखना चाहिए । आपको ये तीनों फिल्में YouTube पर सबटाइटल के साथ मिल जायेंगी ।
2. Charulata
वर्ष 1964 में आई फिल्म चारूलता उन लोगों को अवश्य देखनी चाहिए जिन्हें लगता है कि पहले के समय में नारी केंद्रित फिल्में नहीं बनाई जाती थीं । चारूलता फिल्म के माध्यम से सत्यजीत राय ने स्त्री की भावनाओं और कामनाओं को बड़ी ही खूबसूरती से दर्शकों के सामने रखा है ।
फिल्म की कहानी मुख्य रूप से तीन किरदारों चारूलता, भूपति और अमल की है । चारूलता और भूपति पति पत्नी है । भूपति एक न्यूजपेपर चलाता है और अपनी पत्नी से प्यार करने के बावजूद चारूलता पर ध्यान नहीं देता है । चारूलता दिनरात सिर्फ घर में कैद रहती है कि अचानक एंट्री होती है अमल की । अमल भूपति का भतीजा है और उसके आने से चारूलता की दबी कामनाएं और इच्छाएं जागृत हो जाती हैं ।
3. Mahanagar
Satyajit Ray की अगली Female Centric फिल्म है महानगर । सत्यजीत राय ने इस फिल्म के माध्यम से भारत में नारीवाद (Feminism) को एक नई पहल देने की कोशिश की है । उनकी इस फिल्म को भी दर्शकों और फिल्म समीक्षकों द्वारा खूब सराहा गया था । महानगर फिल्म की कहानी आरती और सुब्रत की है जिनकी आर्थिक स्तिथि काफी अच्छी नहीं है ।
आरती एक saleswoman का काम करती है । उसका पति भी एक बैंक में नौकरी करता है लेकिन एक समय बाद बैंक पर ताला लगने की वजह से वह बेरोजगार हो जाता है । इधर आरती अपना काम जारी रखती है और परिवार को पालने पोशने वाली अकेली महिला बचती है । धीरे धीरे वह अपने काम की वजह से प्रमोशन पाने लगती है लेकिन उसके पति से यह सफलता देखी नहीं जाती ।
Conclusion
मशहूर अभिनेता Keanu Reeves सत्यजीत राय के बहुत बड़े फैन थे । उन्होंने कहा था कि, “भारत के बारे में मेरी समझ (उनके बचपन के दिनों में) सत्यजीत रे की फिल्मों के माध्यम से थी जो मैंने फिल्म फेस्टिवल में देखी थीं । वे अविश्वसनीय हैं ।” उनके अलावा अन्य कई महान हॉलीवुड और बॉलीवुड फिल्म मेकर्स ने Satyajit Ray की फिल्मों को सराहा है ।
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उनकी फिल्में Pather Panchali और Mahanagar ने देश विदेश में काफी प्रसिद्धि हासिल की थी । आज भी जब आप इन फिल्मों को देखेंगे तो उनमें आपको जीवंतता दिखलाई पड़ेगी । Satyajit Ray की सबसे खास बात यह थी कि वे यथार्थवादी थे और संवादों से ज्यादा प्रतीकों, बिंबों का सहारा लेते थे । वे दुनिया के सिनेमा इतिहास में हमेशा हमेशा के लिए अमर रहेंगे ।