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    Taare Zameen Par Lessons in Hindi

    Taare Zameen Par Lessons in Hindi – क्या सिखाती है फिल्म तारे जमीं पर

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    By John on December 17, 2022 Movies

    अक्सर जब मोटिवेशनल और बेहतरीन पेरेंटिंग के गुण सिखाने वाली फिल्मों की बात होती है तो Taare Zameen Par फिल्म का नाम अवश्य आता है । वर्ष 2007 में रिलीज हुई इस फिल्म को दर्शकों के साथ ही फिल्म समीक्षकों ने भी खूब सराहा । आमिर खान की अबतक की सबसे बेहतरीन फिल्मों में भी यह अपनी जगह बनाती है ।

    फिल्म तो लाखों लोगों ने देखी लेकिन इसकी सीख को काफी कम लोग ही ग्रहण कर पाए । इसलिए हम इस आर्टिकल में आपका ध्यान Taare Zameen Par Lessons पर खींचेंगे । इसमें सफलता, परवरिश, जीवन और शिक्षक का जीवन में महत्व जैसे विषयों पर काफी महत्वपूर्ण सीख छिपी हुई है । खासकर कि अगर आप एक अभिभावक हैं तो आपके लिए यह आर्टिकल ज्यादा सहायक होगा ।

    किसी अन्य आर्टिकल में हमने यह बात भी कही थी कि अगर आपके माता पिता आपको साथ बैठकर बागबान फिल्म देखने को कहते हैं, तो उनके साथ तारे जमीं पर फिल्म देखने का आग्रह भी जरूर करें । आखिर ऐसा हमने क्यों कहा और तारे जमीं से आपको क्या हमें क्या सीख मिलती है, चलिए समझते हैं ।

    1. एक सही शिक्षक छात्र का जीवन बदल सकता है

    Taare Zameen Par Lessons की सूची में सबसे पहला स्थान ही शिक्षक के महत्व के बारे में है । हम सभी स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षक के महत्व विषय पर निबंध तैयार करते हैं लेकिन कई बार यह दिखावा मात्र लगता है । स्कूलों में छात्र के अंदर हीन भावना के जिम्मेदार कई बार शिक्षक होते हैं, छात्र शिक्षक के डर से विद्यालय नहीं जाता, कई छात्र स्कूल से नहीं बल्कि कुछ शिक्षकों से पीछा छुड़ाना चाहते हैं ।

    एक सही शिक्षक के मायने बिल्कुल अलग हैं, उन्हें समझना होगा कि वे छात्र के दूसरे माता पिता हैं । एक छात्र की उलझनों को समझने और सुलझाने के बजाय उसे हीन भावना से भरने वाले सही मायनों में शिक्षक नहीं हो सकते हैं । किसी बच्चे की अनूठी प्रतिभा को कम आंके बिना उसका सम्मान करने वाला होता है असली शिक्षक ।

    फिल्म हमें सिखाती है कि एक सही शिक्षक या गाइड छात्र के जीवन को अंधेरे से उजियारे की ओर ले जाने में सक्षम है, बशर्ते वह इच्छुक हो । एक सही शिक्षक अपने छात्रों की हर प्रतिभा का सम्मान करता है और उन्हें एक समान नजरों से देखता है ।

    2. हर बच्चा खास है

    यह पंक्ति कितनी साधारण है कि हर बच्चा खास है, लेकिन इसका यथार्थ हर कोई नहीं समझ सकता । किसी बच्चे को सिर्फ और सिर्फ कक्षा में मिले अंकों से आंकना बिल्कुल भी न्यायसंगत नहीं है । एक 30 छात्रों की कक्षा में कोई फिजिक्स का मास्टर है, किसी को विश्वस्तरीय पेंटिंग बनाने आती है, किसी की आवाज काफी सुरीली है तो कोई बेहतरीन कहानियां लिखता है ।

    एक पल के लिए अगर इन्हें इनके ही रुचि वाले क्षेत्रों में अभिभावक जाने के लिए प्रेरित करें तो सोचिए वे कितना कमाल कर रहे होंगे! लेकिन वास्तविकता बिल्कुल अलग है । Taare Zameen Par Movie में भी ईशान के किरदार को पढ़ने लिखने में काफी समस्याएं आती हैं लेकिन इसके अलावा वह एक रचनात्मक छात्र है ।

    3. पैशन को प्रोफेशन बनाना सफलता की कुंजी है

    फिल्म Taare Zameen Par हमें अपने पैशन को फॉलो करना भी सिखाती है । कहा जाता है कि अगर हम अपने पैशन को ही प्रोफेशन बना लें तो हम इस क्षेत्र में सबसे बेहतर होंगे । आमिर खान ने भी अपने पढ़ाने के पैशन को प्रोफेशन का रूप दिया और वे उसमें वाकई खरे उतरे । पैशन को प्रोफेशन बनाने में कई बाधाएं भी आती हैं, कई बार खुद पर अविश्वास भी जागृत होता है ।

    लेकिन अगर आप इन उलझनों से उबर जाते हैं तो फिर आप जीवन में वह सबकुछ कर पाते हैं जिसे करना आपको वाकई अच्छा लगता है । कई अध्ययनों में यह पाया गया है कि ज्यादातर नौकरीपेशा व्यक्ति अपने काम से खुश नहीं हैं । अपने काम से खुश न होने पर आप कभी भी उसमें 100% दे ही नहीं सकते । साथ ही आपको हर रोज काम से लौटकर आने के बाद वापस नहीं जाने का मन करेगा ।

    4. अभिभावकों के लिए ख्याल करने की परिभाषा समझनी जरूरी

    Taare Zameen Par Scene

    फिल्म Taare Zameen Par Lessons की सूची में अगला नाम परवरिश और पेरेंटिंग है । माता पिता दो वक्त की रोटियां मुहैया कराते हुए अपने बच्चों को कोसते रहते हैं और फिर कहते हैं कि वे ख्याल करते हैं । ख्याल करना दो वक्त की रोटी मुहैया कराने से कहीं ज्यादा है और इसे हर अभिभावक को समझना होगा । फिल्म में एक दृश्य है:

    ईशान के पिता: कहीं आप यह सोचकर न बैठे हों कि हम उन लोगों में से हैं जो अपने बच्चों का ख्याल नहीं करते ।

    ईशान के शिक्षक (आमिर खान): ख्याल करना… बहुत जरूरी है मिस्टर अवस्थी । इसमें इलाज की शक्ति है, एक मरहम है जिससे दर्द मिटता है । बच्चे को तसल्ली हो जाती है कि उसका कोई ख्याल करता है । एक झप्पी, प्यार भरी पप्पी… ये दिखाने के लिए कि मैं ख्याल करता हूं । बेटा मैं तुमसे प्यार करता हूं । अगर कोई फिक्र हो तो मेरे पास आओ । क्या हुआ जो तुम फिसले, गलती हुई, मैं हूं न । ये दिलासा!

    अब कितने ऐसे अभिभावक होंगे जो ऊपर दिए ख्याल करने की परिभाषा को पढ़ते हुए यह दावा कर सकते हैं कि वे वाकई ख्याल करते हैं । इसी सीन में कुछ और डायलॉग है कि “Solomon Islands में जब आदिवासियों को कोई हिस्सा साफ करना होता है खेती के लिए, तो वे पेड़ दरख्तों को काटते नहीं हैं । महज सारे उस पेड़ के पास पहुंच जाते हैं और जी भरके गलियां देते हैं, कोसते हैं ।

    देखते ही देखते कुछ ही दिनों में पेड़ मुरझा जाता है । अपने आप ही मर जाता है ।” अक्सर यही होता है ज्यादातर भारतीय घरों में, बिल्कुल Soloman Islands के पेड़ों की तरह ही बच्चों को भी हर रोज हर छोटी छोटी चीजों के लिए इतना कोसा जाता है कि उनके अंदर का बच्चा मर जाता है ।

    5. किसी भी रिश्ते में तुलना करना सबसे खराब बात

    तुलना कब की जाती है ? हमारा मानना है कि तुलना करने का मुख्य कारण प्यार का अभाव होता है । जब आप खुद की तुलना किसी अन्य से करते हैं तो आप खुद से प्यार नहीं करते । ठीक यही नियम अभिभावकों और अन्य व्यक्तियों पर भी लागू होता है । आपकी तुलना से कहीं न कहीं सामने वाले बच्चे/व्यक्ति के पास यह संदेश जाता है कि आप उनसे प्यार नहीं करते ।

    कई बार हो सकता है कि तुलना आपके लिए बच्चे को प्रोत्साहित करने का एक तरीका हो, लेकिन असलियत में यह कभी काम नहीं करता । बल्कि तुलना करना हीनभावना का शिकार बना देता है, कई बार क्रोध और ईर्ष्या से भरने का काम करता है । फिल्म Taare Zameen Par में भी हम देखते हैं कि ईशान के पिता अक्सर उसकी तुलना इसके भाई से करते रहते हैं ।

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    इससे उन्हें लगता है कि ईशान प्रोत्साहित होगा, कुछ अलग करने की कोशिश करेगा । लेकिन उसकी क्षमताएं तो पहले से ही अलग थीं और तुलना करके आपने अब उसके अंदर हीनभावना भी भर दी । ऐसा करके आपने इसके दिलो दिमाग में यह भर दिया कि तू कम है, तू कुछ नहीं कर सकता ।

    6. जरूरत से ज्यादा अपेक्षाएं रखना हानिकारक

    अगर गौर करें तो हमारे जीवन की ज्यादातर समस्याएं फालतू की अपेक्षाएं रखने से ही हैं । अपेक्षाएं अनिश्चितता की शिकार होती हैं और इसलिए जब कुछ हमारे मन मुताबिक नहीं होता तो या टूट जाते हैं या टूट पड़ते हैं । फिल्म Taare Zameen Par में अपेक्षाओं का पूरा न होना ईशान के पिता से क्रूर व्यवहार कराता है ।

    इसी तरह हम जीवन के अन्य रिश्तों पर भी ध्यान दें तो पता चलता है कि जरूरत से ज्यादा Expectations ही दुख, दर्द, लड़ाई झगड़े, दूरियों का कारण बनती हैं । कई रिश्ते तो सिर्फ जरूरत से ज्यादा अपेक्षाओं की वजह से ही खराब हो जाते हैं । ऐसे में आपको फिल्म तारे जमीं पर से मिली सीख को आत्मसात करते हुए दूसरों से की गई अपेक्षाओं को कम करना चाहिए, क्योंकि भविष्य में यह आपके दुख का कारण बन सकती हैं ।

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    Taare Zameen Par Lessons – Conclusion

    अगर आपने अभी तक तारे जमीं पर फिल्म नहीं देखी है तो हम आपको Recommend करेंगे कि उसे एक बार जरूर देखें । हमने जितने Taare Zameen Par Lessons की चर्चा आपसे ऊपर की है, उनके अलावा भी आपको काफी कुछ फिल्म से सीखने को मिलेगा । चाहे आप एक छात्र हों या एक अभिभावक, आप सभी के लिए यह फिल्म देखनी काफी जरूरी है ।

    अगर आपने फिल्म देख ली है और आपको अन्य Taare Zameen Par Life Lessons दिखाई दी हैं तो उन्हें अवश्य कॉमेंट सेक्शन में बताएं । इससे हमारे अन्य पाठकों को काफी फायदा होगा और फिल्म देखने के अन्य कारण भी मिल जायेंगे ।

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