फिल्म के एकदम शुरुआत में ही आपने देखा होगा कि एक सर्टिफिकेट डिस्प्ले किया जाता है । इस सर्टिफिकेट में फिल्म का नाम, कुल अवधि, दिनांक, प्रोड्यूसर का नाम और साथ में U, U/A, A या S Certificate भी लिखा होता है । हर रिलीज की गई फिल्म के सर्टिफिकेट में आप इन अक्षरों को अवश्य ही लिखा हुआ पाएंगे ।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि फिल्मों को ये सर्टिफिकेट क्यों दिए जाते हैं ? हर फिल्म को मिले सर्टिफिकेट अलग अलग क्यों होते हैं ? इन सर्टिफिकेट के क्या मायने हैं ? अगर आपके मन में यह सारे प्रश्न आते हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए काफी सहायक साबित होगा ।
हम विस्तार से आपको U, U/A, A और S certificate के मायने, अंतर और अर्थ को समझाएंगे । साथ ही आपको यह भी बताएंगे कि इस सर्टिफिकेट के लिए कौन अप्लाई करता है और इसे कौन जारी करता है । तो चलिए शुरू से शुरुआत करते हैं ।
Film Certificate क्या होता है ?
एक Film Certificate किसी फिल्म के रिलीज होने के लिए स्वीकरण प्रदान करता है । भारत में Central Board of Film Certification द्वारा विभिन्न फिल्मों को कई मानदंडों को ध्यान में रखते हुए सर्टिफिकेट प्रदान किया जाता है । इसे सेंसर बोर्ड के नाम से भी जाना जाता है ।
आपने अक्सर खबरों में यह सुना होगा कि कोई फिल्म सेंसर बोर्ड में अटकी हुई है, सेंसर बोर्ड ने फिल्म के इस खास हिस्से को हटवा दिया, सेंसर बोर्ड ऐसी फिल्मों को रिलीज होने कैसे दे सकता है आदि । ये सेंसर बोर्ड Central Board of Film Certification ही है जिसे CBFC भी कहा जाता है । यह संस्था भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत आता है ।
Film Certificate में क्या क्या होता है ?
जब कोई फिल्म CBFC यानि Central Board of Film Certification द्वारा अप्रूव कर दिया जाता है तो उसे एक सर्टिफिकेट प्राप्त होता है । इस सर्टिफिकेट में फिल्म से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां लिखी होती हैं । चलिए जानते हैं कि इस Film Certificate में आखिर क्या क्या होता है:
- फिल्म का पूरा नाम
- फिल्म की कुल अवधि
- फिल्म सर्टिफिकेट प्रदान करने वाले लोगों के नाम
- फिल्म रिलीज होने का प्रिंट माध्यम
- सर्टिफिकेट के आवेदक और प्रोड्यूसर का नाम
- प्रमाणपत्र संख्या
- फिल्म श्रेणी
आप ऊपर दिए फिल्म सर्टिफिकेट को देख सकते हैं । इसमें फिल्म से जुड़ी सभी आवश्यक जानकारियां लिखी गई होती हैं । अक्सर यह माना जाता रहा है कि फिल्म डायरेक्टर मुख्य होता है लेकिन ध्यान से देखा जाए तो सबकुछ प्रोड्यूसर के ही हाथों में होता है । एक प्रोड्यूसर ही फिल्म में पूरा पैसा लगाता है और इसलिए वह कई बड़े निर्णय खुद लेता है । इसलिए सर्टिफिकेट में प्रोड्यूसर का नाम या कंपनी अवश्य अंकित की जाती है ।
फिल्म सर्टिफिकेट में U, U/A, A और S क्यों ?
जिन फिल्मों को U Certificate मिलता है, इन फिल्मों को देखने के लिए 12 साल से कम उम्र के बच्चों को माता-पिता के मार्गदर्शन की आवश्यकता है । U/A सर्टिफिकेट वाली फिल्मों को कोई भी व्यक्ति देख सकता है भले ही उसकी उम्र कितनी भी हो । A Certificate वाली फिल्मों को 18 वर्ष या इससे ज्यादा के व्यक्तियों द्वारा तो वहीं S सर्टिफिकेट की फिल्मों को एक खास वर्ग के लोगों द्वारा ही देखी जानी चाहिए ।
चलिए इसे क्रमवार ढंग से समझते हैं:
- U Certificate: 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को फिल्म देखने के लिए माता पिता का मार्गदर्शन जरूरी
- U/A Certificate: किसी भी उम्र के व्यक्ति हा बच्चे इस सर्टिफिकेट वाली फिल्म को देख सकते हैं
- A Certificate: इस सर्टिफिकेट वाली फिल्मों को 18 वर्ष से ऊपर के ही व्यक्तियों द्वारा देखी जानी चाहिए
- S Certificate: इस सर्टिफिकेट वाली फिल्मों को समाज के कुछ विशेष वर्ग द्वारा ही देखने की अनुमति होनी चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 1989 में फिल्मों को सर्टिफिकेट प्रदान करना अनिवार्य कर दिया था क्योंकि फिल्मों का सीधे प्रभाव हमारी मानसिकता पर पड़ता है । हर सप्ताह ही ऐसी खबरें या घटनाएं देखने पढ़ने को मिल जाती है जिसमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से फिल्में शामिल होती हैं । इसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फिल्मों के सर्टिफिकेशन को अनिवार्य कर दिया ।
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- भारत में ज्यादातर फिल्में शुक्रवार को क्यों रिलीज की जाती हैं ?
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इसके साथ ही The Cinematograph Act, 1952 के सेक्शन B में कहा गया है कि:
एक फिल्म को सार्वजनिक स्क्रीनिंग के लिए प्रमाणित करने की आवश्यकता नहीं है, अगर प्रमाणन प्राधिकरण की राय में, फिल्म या उस फिल्म का एक हिस्सा हितों के विपरीत है । भारत की संप्रभुता और अखंडता, राष्ट्रों की सुरक्षा, विदेशी राष्ट्रों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, सार्वजनिक व्यवस्था, शिष्टाचार या नैतिकता, या इसमें अदालत की बदनामी या अपमान करना शामिल है, या एक पुलिस स्टेशन को उकसाने की संभावना है । “
छायांकन एक्ट, 1952 सेक्शन B
Film Certificate कैसे प्रदान किया जाता है ?
Central Board of Film Certification ही किसी भी फिल्म को सर्टिफिकेट प्रदान करने का काम करता है । CBFC सबसे पहले पूरी फिल्म देखती है और इसके बाद पहले से तय नियम कानूनों को ध्यान में रखते हुए फिल्म को विभिन्न मानदंडों पर आंकती है ।
Film Certification प्रदान करने के लिए निम्नलिखित गाइडलाइंस को ध्यान में रखा जाता है:
1. हिंसा और अन्य असामाजिक कार्रवाइयों का जश्न नहीं मनाया जाता और न ही उन्हें नज़रअंदाज़ किया जाता है ।
2. अपराधियों के संचालन के तरीके, साथ ही कोई भी चित्र या वाक्यांश जो किसी भी अपराध को करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं, नहीं दिखाए जाते हैं ।
3. महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा की स्थिति, जैसे कि बलात्कार का प्रयास, बलात्कार, या किसी भी तरह का छेड़छाड़, या इसी तरह के दृश्य से बचा जाता है, और और यदि वे विषय के लिए प्रासंगिक हैं, तो उन्हें न्यूनतम रखा जाता है और कोई विवरण चित्रित नहीं किया जाता है ।
4. ऐसा कोई क्रम नहीं है जो किसी भी तरह से महिलाओं को नीचा या बदनाम करता हो ।
5. भारत की संप्रभुता और अखंडता निर्विवाद रूप से सुरक्षित होनी चाहिए ।
6. बच्चों को पीड़ितों, अपराधियों, या हिंसा के लिए मजबूर गवाहों के रूप में चित्रित करना, या बच्चों को किसी भी प्रकार के बाल शोषण के शिकार या अपराधियों के रूप में दिखाना फिल्म का हिस्सा नहीं होना चाहिए ।
7. शारीरिक और मानसिक रूप से विकलांग लोगों को दुर्व्यवहार या उपहास का चित्रण करने वाला कोई भी दृश्य नहीं होना चाहिए ।
8. पशु क्रूरता या दुर्व्यवहार को अनावश्यक रूप से नहीं दिखाया गया है ।
9. हिंसा, क्रूरता और आतंक के अनावश्यक या परिहार्य कार्यों को प्रदर्शित नहीं किया जाना चाहिए, हिंसक स्थितियों का उद्देश्य मुख्य रूप से मनोरंजन करना है, और दृश्य दर्शकों को असंवेदनशील या अमानवीय बना सकते हैं ।
10. यौन विकृतियों को दर्शाने वाले दृश्यों से बचना चाहिए, और यदि उन्हें प्रदर्शित किया जाना चाहिए, तो उन्हें न्यूनतम रखा जाना चाहिए और कोई विवरण नहीं दिया जाना चाहिए ।
11. शराब पीने का बहाना या जश्न मनाने वाले दृश्यों को प्रदर्शित करने की अनुमति नहीं है (सावधानी याद रखें कि शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है)
Film Certificates in Hindi – Conclusion
एक फिल्म में कई दृश्य, घटनाएं, कहानियां आदि मौजूद होती हैं और उनका आम समाज पर बेहद ही गहरा प्रभाव पड़ता है । इसलिए यह बेहद ही जरूरी हो जाता है कि सभी फिल्मों को एक्सपर्ट्स द्वारा विभिन्न गाइडलाइंस को ध्यान में रखते हुए परखा जाए और उन्हें रिलीज से पहले CBFC द्वारा सर्टिफिकेट प्रदान किया जाए । एक Film Certificate फिल्म को सही ऑडिएंस के सामने पेश करने के लिए आवश्यक है ।
अगर आपके मन में फिल्मों को मिलने वाले Film Certificate से जुड़े प्रश्न हैं तो उन्हें कॉमेंट करके पूछ सकते हैं । इसके साथ ही अगर आपको यह जानकारी रोचक लगी हो तो इसे शेयर कर्जा न भूलें ।