सिनेमा जगत में अक्सर ऐसा होता है कि कोई Masterpiece Movie रिलीज होने के कई वर्षों बाद लोकप्रियता हासिल कर पाती है । हॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री हो या बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री, सभी में कई ऐसी फिल्में लगातार बनाई जाती रही हैं जिन्हें सच्चे मायनों में दर्शक रिलीज के कई वर्ष बाद मिले । ऐसी ही एक फिल्म है Tumbbad ।
जब फिल्म रिलीज की गई थी तो न इसे Movie Critic ने खास भाव दिया और न ही दर्शकों ने । मसाला बॉलीवुड फिल्मों की चमक धमक में यह फिल्म दबी सी रह गई थी लेकिन अब फिल्म को भरपूर मात्रा में देखा जा रहा है । फिल्म को पसंद करने वालों की संख्या इतनी ज्यादा है कि इसका दूसरा भाग में जल्द ही रिलीज किया जाएगा ।
हालिया ट्रेंड को अगर देखें तो क्षेत्रीय लोक कथाओं पर आधारित फिल्मों को भरपूर दर्शक भी मिल रहे हैं और फिल्में कमाई भी कर रही हैं । हाल में ही रिलीज हुई फिल्में Kantara, Stree, Churuli, Bulbbul आदि भी लोक कथाओं पर ही आधारित हैं और इन्हें लोग काफी पसंद भी कर रहे हैं । आज के लेख में हम Tumbbad Movie Review करेंगे और जानेंगे कि आखिर फिल्म को इतना पसंद क्यों किया जा रहा है ?
Tumbbad (2018)
Tumbbad एक भारतीय हॉरर फिल्म है जिसे 12 October 2018 को रिलीज किया गया था । महाराष्ट्र की लोक कथाओं पर आधारित इस फिल्म के डायरेक्टर आनंद गांधी हैं । 1 घंटे 44 मिनट की यह फिल्म Horror और Fantasy से भरपूर है । फिल्म को IMDb पर 8.2/10 की रेटिंग मिली है ।
फिल्म की कहानी इंसानी लालच पर आधारित है । संक्षेप में देखें तो फिल्म की कहानी हस्तर नाम के एक राक्षस के बारे में है जिसने दुनिया का सबसे बड़ा सोने का खजाना हथिया लिया है । उसका एक मंदिर भी है लेकिन उसकी कोई पूजा नहीं करता बल्कि उसके अपार धन को पाने की लालसा में लोग पड़े रहते हैं ।
फिल्म का मुख्य किरदार विनायक है जो गरीबी से निकलने के लिए हस्तर के खजाने को पाने की पूरी कोशिश करने लगता है । विनायक का यह लालच उसे क्या कुछ करने पर मजबूर करता है, यही पूरी फिल्म की कहानी है । फिल्म से जुड़े कुछ जरूरी जानकारियां:
Name | Description |
---|---|
फिल्म | Tumbbad |
फिल्म की अवधि | 1 घंटे 44 मिनट |
रिलीज दिनांक | 12 अक्टूबर, 2018 |
डायरेक्टर | आनंद गांधी |
सिनेमेटोग्राफी | पंकज कुमार |
एक्टिंग | सोहम शाह |
बॉक्स ऑफिस | ₹13.57 करोड़ |
Tumbbad Review in Hindi
Tumbbad Film उन लोगों को अवश्य देखना चाहिए जो Visual Appeal को सबसे ज्यादा महत्व देते हैं । फिल्म की सिनेमेटोग्राफी और विजुअल्स इतने दमदार हैं कि मुंह से बस वाह ही निकलता है । फिल्म Period Horror है यानि इसकी कहानी कई वर्ष पूर्व की है जब अंग्रेजों की हुकूमत हमारे देश पर थी । गुलाम भारत के Look और Feel को डायरेक्टर और सिनेमेटोग्राफर द्वारा बखूबी ध्यान रखा गया है ।
सबसे पहले बात करें अगर फिल्म में Performance की तो सोहम शाह वाकई लाजवाब हैं । उनकी realistic acting कई बार दर्शकों को चौंका जाती है । वे शुरू से लेकर अंत तक अपनी बढ़िया एक्टिंग स्किल से दर्शकों को बांधे रखते हैं । फिल्म की गति काफी धीमी है और फिल्म कई हिस्सों में उबाऊ भी महसूस कराती है लेकिन सोहम की एक्टिंग कहीं न कहीं दर्शकों को फिल्म से बांधे रखती है ।
बात करें फिल्म के Visual Details और Cinematography की तो फिल्म अंत तक देखते रहने के लिए सबसे मुख्य कारक यहीं हैं । फिल्म के सभी दृश्य इतनी बारीकी और खूबसूरती से तैयार किए गए हैं कि आप अंत तक फिल्म को एकटक बिना पलकें झपकाएं देखते रह जायेंगे । सिनेमेटोग्राफर पंकज ने Tumbbad और इससे जुड़ी कहानी को पूरी सटीकता से कैद किया है । इसके साथ ही फिल्म में CGI भी हाई क्वालिटी का है ।
Tumbbad का Main Theme लालच और गरीबी है और इसे परदे पर बखूबी दिखाने का श्रेय डायरेक्टर को जाता है । फिल्म की शुरुआत से लेकर अंत तक गहरे काले रंगों, बारिश और मनहूसियत छाई रहती है और फिल्म के मुख्य संदेश को सही तरीके से दर्शकों तक पहुंचाने में कामयाब होती है । फिल्म थोड़ी धीमी गति से अवश्य चलती है लेकिन कहीं भी ऐसा नहीं लगता कि कोई सीन जबरदस्ती थोपा गया है ।
Tumbbad Storytelling को पूरे में से पूरे अंक देना तो बनता है । फिल्म शुरुआत से ही दर्शकों को एक लोककथा में बांधती चलती जाती है और धीरे धीरे दर्शकों के सभी प्रश्नों का जवाब भी देती है । फिल्म का Climax काफी अलग और खास है जो पूरी फिल्म के संदेश का निचोड़ है । अगर आप फिल्म देखने की योजना बना रहे हैं तो आपको इसे थिएटर में ही जाकर देखनी चाहिए । क्योंकि बड़े पर्दे पर इस फिल्म को देखने को मजा कुछ और ही है!
Tumbbad Story in Hindi
Spoiler Alert: अगर आपने अभी तक फिल्म नहीं देखी है तो आपको सलाह दी जाती है कि Tumbbad Story न पढ़ें । इससे आपका फिल्म देखने का मजा खराब हो सकता है ।
तुम्बड फिल्म की कहानी को हम कुल तीन हिस्सों में तोड़ेंगे । इससे आपको पूरी फिल्म की कहानी समझने में आसानी होगी । ये तीन हिस्से होंगे Beginning, Middle और Ending ।
Tumbbad Beginning
Tumbbad Movie की शुरुआत होती है वर्ष 1947 से जब विनायक राव अपने बेटे पांडुरंग को समृद्धि और धन दौलत की देवी की कहानी सुनाता है । विनायक कहता है कि यह पृथ्वी देवी की गोद है और उनके पास दुनिया की सभी धन दौलत है । जब ब्रह्मांड का निर्माण हुआ, तो उन्होंने 190 मिलियन देवताओं को जन्म दिया । इनमें से उनकी पहली संतान था हस्तर जो काफी लालची था ।
उसने छल से अपनी मां की सारी धन संपत्ति हासिल कर ली और इसके बाद वह देवताओं का भोजन भी चुराने गया लेकिन सभी देवताओं ने उसपर हमला कर दिया । लेकिन देवी ने हस्तर को बचा लिया और यह भी कहा कि इसकी कभी पूजा नहीं की जायेगी । लेकिन तुम्बड के निवासी हस्तर का मंदिर बनवा देते हैं जिससे देवताओं को क्रोध आता है । वे गांव को श्राप देते हैं कि यहां हर वक्त बारिश होती रहेगी ।
अब कहानी कुछ वर्ष पूर्व चली जाती है वर्ष 1918 में । इस समय तुम्बाद का एक मालिक है जिसे सभी सरकार कहकर पुकारते हैं । विनायक की मां सोने के सिक्के के लालच में मालिक से शारीरिक संबंध बनाती है । इधर विनायक और उसका भाई सदाशिव अकेले हैं और उन्हें अपने मां के घर आने को लेकर चिंता होती है । उनके घर में एक बूढ़ी औरत भी है जिसे बांध कर खाना खिलाया जाता है क्योंकि वह हमला करती है ।
लेकिन जैसे ही उसके सामने कोई हस्तर का नाम लेता है, वह सो जाती है । एक समय पश्चात मालिक मर जाता है और विनायक की मां तुम्बड छोड़ने के बारे में सोचने लगती है । हालांकि विनायक मालिक की हवेली में छिपे खजाने को हथियाने की चाहत रखता है । इसी बीच सदाशिव को चोट लग जाती है और वह अस्पताल जाते वक्त मर जाता है । इधर विनायक बूढ़ी औरत को अकेले खाना खिलाने जाता है लेकिन वह विनायक पर हमला कर देती है । विनायक तुरंत हस्तर का नाम लेता है जिससे वह गहरी नींद में सो जाती है ।
अगले दिन विनायक की मां वापस आती है और सदाशिव का अंतिम संस्कार होता है । विनायक की मां विनायक से यह वादा लेती है कि वह अब कभी भी वापस तुम्बड लौटकर नहीं आएगा ।
Tumbbad Middle
विनायक और उसकी मां पुणे चले जाते हैं । पंद्रह वर्ष पुणे में ही रहते हुए उन्हें बिट चुके हैं, लेकिन विनायक को सोने के सिक्के के बारे में पता है । इसलिए वह लालच वश पंद्रह साल बाद वापस तुम्बड आता है । यहां वापस आने के बाद वह सीधे अपने पुराने घर जाता है जहां उसे वहीं पुरानी बुढ़िया मिलती है जो हस्तर का नाम लेते ही सो जाती थी । उसके शरीर से अब पेड़ पौधे उग चुके थे ।
वह विनायक को चेतावनी देती है कि अगर वह खजाने को हाथ लगाने और लालच दिखाने की कोशिश करता है तो वह भी हस्तर की ही तरह अमर हो जायेगा और राक्षस में तब्दील हो जाएगा । हालांकि जिद करने पर वह विनायक को बताती है कि एक कुंवा है जिससे होते हुए हस्तर के खजाने तक पहुंचा जा सकता है । लेकिन विनायक को इस राज को बताने के बदले में वह विनायक द्वारा खुद को जलाकर मारने का वचन लेती है ।
विनायक अपना वचन निभाता है और बूढ़ी औरत को जलाकर मार डालता है । इधर हस्तर के पास खजाना तो है लेकिन उसके पास खाने के लिए अनाज नहीं है । वह वर्षों से भूखा है जिसका फायदा विनायक उठाता है । वह आटे की बड़ी बड़ी गोलियां बनाकर कुवें में जाता है और हस्तर को खाने में उलझा कर उसके सोने चुरा लेता है । इस तरह वह धीरे धीरे खजाने से ढेरों सोने के सिक्के निकाल निकाल कर काफी अमीर बन जाता है ।
इधर विनायक और उसकी पत्नी को एक बेटा होता है पांडुरंग जिसे विनायक फिल्म की शुरुआत में हस्तर की कहानी सुना रहा होता है । इसमें एक अन्य किरदार राघव की भी एंट्री होती है जिसका बेटा मर चुका है और उसके पास अब बेटे की विधवा है । रुपयों की तंगी के चलते वह अपनी विधवा बहू विनायक को बेच देता है । इसी बीच राघव को पता चल जाता है कि विनायक कैसे पैसे कमा रहा था ।
इससे विनायक को क्रोध आता है और वह राघव का हवेली के कुंआ तक पीछा करता है । इसके बाद बड़ी ही चालाकी से वह राघव को कुंवे के अंदर जाने के लिए आकर्षित करता है जहां हस्तर उस पर हमला कर देता है । इस हमले से राघव भी राक्षस बन जाता है और कूवें में ही फंस कर रह जाता है । लेकिन विनायक राघव के दर्द को कम करने के लिए उसे जला कर मार देता है ।
Tumbbad Ending Explained in Hindi
अब बारी आती है Tumbbad Ending की जिसमें विनायक का बेटा पांडुरंग बड़ा हो चुका है । तुम्बड़ फिल्म के अंत की शुरुआत वर्ष 1947 से होती है । पांडुरंग बड़ा हो चुका होता है इसलिए विनायक उसे अपने साथ हवेली तक लेकर जाता है जहां उसे सोना प्राप्त करने की पूरी ट्रेनिंग देता है । पांडुरंग को सख्त हिदायत रहती है कि वह खुद कभी कुवें में नहीं उतरेगा ।
लेकिन एक बार अचानक से पांडुरंग कुएं में उतरकर आटे की गोली हस्तर के सामने दिखाता है । ऐसा करने पर हस्तर पांडुरंग पर हमला कर देता है लेकिन विनायक के प्रयास से किसी प्रकार दोनों बच निकलते हैं । अगली बार पांडुरंग अपने पिता को यह सलाह देता है कि क्यों न एक ही बार में ढेरों सोने के सिक्के निकाले जाएं । इसके लिए सबसे पहले ढेरों आटे की बड़ी बड़ी गोलियां बनाई जाएं जिससे हस्तर देर तक उन्हें खाता रहेगा ।
इस बीच दोनों ढेरों सोने के सिक्के हथिया सकते हैं । विचार विनायक को पसंद आया और दोनों ने मिलकर बड़ी बड़ी आटे की लोइयां तैयार की । इसके बाद दोनों साथ में नीचे उतरकर ढेरों आटे की गोलियां फेंक देते हैं । लेकिन उनके उम्मीदों के ठीक उलट इस बार जितनी आटे की गोलियां होती हैं, उतने ही हस्तर निकल कर आते हैं । इस तरह जल्द ही आटे की गोलियां खत्म हो जाती हैं और वे सभी मिलकर बाप बेटे पर हमला कर देते हैं ।
ऐसे में विनायक खुद को राक्षसों को सौंप देता है ताकि अपने बेटे पांडुरंग को सही सलामत कुएं से निकाल सके । सही समय देखकर पांडुरंग कुएं से निकल जाता है और बाहर से अपने पिता को हस्तर का भोजन बनते और राक्षस में तब्दील होते देखता है । विनायक कुछ देर पश्चात जख्मी हालत में कुएं से बाहर निकलकर आता है और कुछ सिक्के पांडुरंग को देने की कोशिश करता है जिसे वह निकलने में कामयाब हो गया था ।
लेकिन पांडुरंग को लालच बुरी बला है का पूरा कांसेप्ट समझ में आ चुका होता है । वह अबतक जान चुका है कि लालच ने ही उसके पिता की यह हालत की है । इसलिए वह सिक्के लेने से मना कर देता है और अपने पिता को अनंत काल तक पीड़ा से बचाने के लिए जला देता है । इसके बाद वह वापस अपने घर चला जाता है । यही Tumbbad Movie Ending हो जाती है ।
Conclusion
Tumbbad Movie की स्टोरीलाइन काफी अच्छी है और साथ ही इसके visual details और VFX कमाल के हैं । बेहद ही सावधानी और बारीकी से फिल्म के हर हिस्से को तैयार किया गया है । फिल्म थोड़ी बहुत उबाऊ जरूर है क्योंकि थोड़ी धीमी चलती है लेकिन स्टार परफॉर्मेंस और बढ़िया दृश्य दर्शकों को फिल्म से बांधे रखते हैं ।
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