भारतीय सिनेमा के इतिहास को उठाकर देखें तो सेंसर बोर्ड ने कई फिल्मों को प्रतिबंधित किया है । बैंडिट क्वीन से लेकर मैसेंजर ऑफ गॉड जैसी कई फिल्मों को भारत में बैन किया गया । इन फिल्मों को बैन करने के पीछे कई कारण थे जैसे नग्नता, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना, भारतीय मूल्यों के खिलाफ दृश्य बनाना, आदि । इसको लेकर दिशानिर्देश Cinematograph Act, 1952 में दिए गए हैं ।
सिनेमेटोग्राफ एक्ट 1952 के ही तहत सेंसर बोर्ड या Central Board of Film Certification की भी स्थापना की गई है । भारत में रिलीज हो रही सभी फिल्मों को सबसे पहले सेंसर बोर्ड ही देखता है, समीक्षा करता है और इसके पश्चात जरूरी दिशा निर्देश जारी करता है या फिल्म रिलीज होने देता है । पर आखिर क्यों सिनेमेटोग्राफ एक्ट की आवश्यकता पड़ी ?
इसके साथ ही Cinematograph Act 1952 में क्या है ? यह किन आधारों पर सर्टिफिकेट जारी करता है ? भारत में किन फिल्मों को अबतक बैन किया गया है ? इन सभी प्रश्नों का उत्तर हम इस आर्टिकल में एक एक करके समझेंगे ।
Cinematograph Act 1952 क्या है ?
The Cinematograph Act, 1952 संसद द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए अधिनियमित किया गया था कि फिल्मों का प्रदर्शन भारतीय समाज की सहिष्णुता की सीमा के अनुसार किया जाए । भारतीय संविधान के Article 19(1)(a) और 19(2) को ध्यान में रखते हुए इस एक्ट को तैयार किया गया था ।
जहां भारतीय संविधान का आर्टिकल 19(1) कहता है कि सभी नागरिकों को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार होगा । लेकिन वहीं आर्टिकल 19(2) भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सहित सभी मौलिक अधिकारों पर उचित प्रतिबंध लगाने की अनुमति देता है । यानि बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तभी तक, जबतक कि आप दूसरों को किसी प्रकार की हानि न पहुंचा रहे हों ।
अब अगर इसे हम भारतीय सिनेमा के परिप्रेक्ष्य में देखें तो फिल्में बनाना तो अनुच्छेद 19(1) का ही हिस्सा है । फिल्मों के माध्यम से कलात्मक स्वतंत्रता को बल मिलता है । लेकिन क्या हो अगर आप इस कलात्मक स्वतंत्रता के आड़ में भारतीय समाज की सहिष्णुता की सीमा लांघ जाएं ? इसलिए The Cinematograph Act 1952 को पार्लियामेंट से पारित किया गया ताकि फिल्मों पर नजर रखी जा सके ।
The Cinematograph Act 1952: Important Points
The Cinematograph Act, 1952 का सबसे महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि उन फिल्मों को सर्टिफाई नहीं किया जाएगा जिनमें निम्नलिखित बातें पाई जायेंगी:
- भारत की संप्रभुता और अखंडता के साथ-साथ देश की सुरक्षा और दूसरे देशों से अच्छे संबंधों के खिलाफ हो
- कानून के खिलाफ और शालीनता के खिलाफ हो
- इसमें मानहानि या अदालत की अवमानना शामिल है, और यह किसी को अपराध करने के लिए प्रेरित करने की संभावना रखता हो
इसी एक्ट के तहत Central Board of Film Certification (CBFC) का भी गठन किया गया जिसका मुख्य कार्य ही भारतीय फिल्मों की समीक्षा करना और उन्हें सर्टिफिकेशक देना था । इसे ही सेंसर बोर्ड भी कहते हैं जो फिल्मों के कंटेंट के आधार पर उन्हें सर्टिफिकेट प्रदान करती है और उसी सर्टिफिकेट के आधार पर फिल्में दर्शकों को दिखाई जाती हैं ।
The Cinematograph Act, 1952 कहता है कि फिल्म माध्यम को एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण प्रदान करना चाहिए और साथ ही फिल्म में जहां तक संभव हो सौंदर्यपरक मूल्य और अच्छी सिनेमाई सामग्री होनी चाहिए । अधिनियम पुलिस को आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 (‘सीआरपीसी’) में निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए तलाशी और जब्ती करने के लिए भी अधिकृत करता है, अगर फिल्म को अधिनियम के किसी भी प्रावधान के उल्लंघन में प्रदर्शित किया जा रहा है ।
Certificates Under The Cinematograph Act, 1952
The Cinematograph Act, 1952 के तहत कुल 4 प्रकार के सर्टिफिकेट फिल्मों को प्रदान किए जाते हैं । ये सर्टिफिकेट हैं A, U/A, U और S जिनके बारे में हमने विस्तार से Film Certification in Hindi आर्टिकल में बात किया है । चलिए संक्षेप में इन सबके बारे में समझते हैं ।
1. A Certificate
A Certificate उन फिल्मों को दिया जाता है जिन्हें सिर्फ और सिर्फ Adults यानि 18 वर्ष या इससे अधिक के व्यस्कों को ही देखना चाहिए । इन फिल्मों को बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता क्योंकि वे सामग्री से नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकते हैं ।
भारत में लगातार कई A Certificate Movies बनाई जा रही हैं, उनमें से कुछ की सूची:
- Lipstick Under My Burkha
- Udta Punjab
- Ragini MMS 2
2. U Certificate
U Certificate इन फिल्मों को दिया जाता है जिन्हें किसी भी उम्र का व्यक्ति देख सकता है । इन फिल्मों में ऐसी कोई भी सामग्री आमतौर पर नहीं होती है जो किसी खास वर्ग के व्यक्तियों द्वारा देखने के लिए अनुपयुक्त हो । फिल्म का विषय आमतौर पर परिवार के अनुकूल होता है और इसमें लंबे समय तक हिंसा या नग्नता वाले दृश्य नहीं होते हैं ।
भारतीय सिनेमा पर अगर नजर डालें तो आपको पर्याप्त मात्रा में U Certificate की फिल्में मिल जाती हैं । कुछ की सूची:
- Dangal
- Raksha Bandhan
- 83
3. U/A Certificate
The Cinematograph Act, 1952 के तहत उन फिल्मों को U/A Certificate दिया जाना चाहिए जिनमें ऐसी सामग्री है कि माता-पिता या अभिभावक को सलाह देना आवश्यक हो जाता है ताकि यह तय किया जा सके कि बारह वर्ष से कम उम्र के बच्चे को फिल्म देखने की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं ।
हाल ही में रिलीज हुई कुछ U/A Certified Movies इस प्रकार हैं:
- Tiger Zinda Hai
- Dear Comrade
- Yeh Jawaani Hai Deewani
4. S Certificate
S Certificate उन फिल्मों को दिया जाता है जिनका विषय, प्रकृति या सामग्री केवल एक विशिष्ट वर्ग के व्यक्तियों या पेशे के लिए उपयुक्त है । उदाहरण के तौर पर ऐसी फिल्में जिन्हें सिर्फ डॉक्टर, इंजीनियर या किसी खास समूह के लोग ही देख सकते हैं ।
भारत में S Certificate वाली फिल्में कम ही बनाई जाती हैं । The Birth ऐसी ही एक फिल्म थी जिसे एस सर्टिफिकेट मिला था और यह मुख्य रूप से डॉक्टरों के लिए देखी जाने वाली फिल्म थी ।
Banned Movies in India by CBFC
भारत में कई कारणों से लगातार फिल्में बैन की जाती रही हैं । अगर हम भारत में बैन सभी फिल्मों पर नजर डालें तो सबसे आम कारण जो फिल्मों के बैन को लेकर था, वह है sexual content । ज्यादातर फिल्मों में सेक्सुअल कंटेंट की अधिकता की वजह से फिल्मों को बैन किया गया है । The Cinematograph Act 1952 में सेक्सुअल कंटेंट को लेकर साफ साफ बातें लिखी गई हैं ।
तो चलिए कुछ Banned Indian Movies पर नजर डालते हैं:
- Garam Hawa
- Kissa Kursi Ka
- Bandit Queen
- Kama Sutra: A Tale of Love
- Black Friday
- Unfreedom
- Toofan Singh
CBFC कई बार सीधे फिल्मों को बैन नहीं करती है । बल्कि Film Director या Film Producer को फिल्म के कुछ हिस्से डिलीट करने या ब्लर करने के लिए कहा जाता है । हालांकि कुछ परिस्थितियां ऐसी होती हैं जब पूरा विषय ही विवादास्पद या संवेदनशील होता है । यहां एक बात और ध्यान देने वाली है कि CBFC के फिल्म बैन करने और सर्टिफिकेट प्रदान न करने से यह जरूरी नहीं कि अब फिल्म रिलीज नहीं हो सकती ।
बल्कि एक फिल्म निर्माता और फिल्म निर्देशक कानून का दरवाजा खटखटा सकते हैं । कई बार ऐसा हुआ है कि सीबीएफसी के सर्टिफिकेट न देने के पश्चात भी कानूनी तरीके से फिल्म रिलीज की गई है । इसके अलावा सीबीएफसी के फिल्म सर्टिफिकेट देने के पश्चात भी इसपर कानूनी रूप से बैन लग सकता है ।
CBFC में सुधार की आवश्कता ?
The Cinematograph Act, 1952 के तहत CBFC का गठन तो हो गया, लेकिन आज इसके गठन के लगभग 70 वर्षों बाद सीबीएफसी में सुधार की मांग तेज हो गई है । इसके गठन के समय वैश्विक सिनेमा और खासकर कि भारतीय सिनेमा की परिस्थिति और परिदृश्य कुछ और ही था । लेकिन समय के साथ ही भारतीय सिनेमा में कई बड़े बदलाव हुए, लगभग सभी विषयों पर फिल्में बनी और यह भारत का सॉफ्ट पावर बना ।
- Cinematography क्या है ?
- NSD क्या है और एडमिशन कैसे लें ?
- ज्यादातर फिल्में शुक्रवार को क्यों रिलीज की जाती हैं ?
लेकिन सीबीएफसी ज्यों का त्यों उसी जगह पर खड़ा है । लेकिन वर्तमान परिस्थितियों के हिसाब से इसमें सुधार की आवश्कता है । वर्ष 2016 की The Benegal Committee और वर्ष 2013 की Justice Mukul Mudgal Committee ने भी यह सुझाव दिया था कि सीबीएफसी में सुधार किए जाने चाहिए और फिल्मों को सेंसर करने से अच्छा उनका age-based rating/classification किया जाना चाहिए ।
यहां कुछ बातें गौर करने वाली हैं और इसपर विचार भी किया जाना चाहिए । एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक देश में किसी भी कंटेंट को बैन करना मनमानी होगी । कंटेंट को बैन करने के बजाय अगर उन्हें उम्र के हिसाब से देखने के लिए बांट दिया जाए तो यह ज्यादा बेहतर होगा । हालांकि इसपर ज्यादा चर्चा की आवश्यकता है और फिर सेंसर बोर्ड में सुधार करना चाहिए । आपकी राय क्या है, कमेंट में बताएं ।